Bangladesh: बांग्लादेश में हिंसा का दौर अभी भी जारी है। शेख हसीना के देश छोड़ने और नई अंतरिम सरकार के गठन होने के बाद भी प्रदर्शनकारी सड़कों पर डटे हुए हैं। वहीं पुलिसकर्मियों ने अपनी जान को खतरा बताते हुए ड्यूटी करने से मना कर दिया था। साथ ही हड़ताल पर चले गए थे। (Bangladesh) हालांकि, इस बीच एक राहत की खबर आई है। विरोध जता रहे पुलिस अधिकारी हड़ताल वापस लेने पर सहमत हो गए हैं। बता दें, यह फैसला अंतरिम सरकार द्वारा मांगों को पूरा करने का आश्वासन देने पर लिया गया है।
Bangladesh: बांग्लादेश में क्यों भड़की हिंसा?
बांग्लादेश में 1971 में देश की आजादी के लिए लड़ने वाले स्वतंत्रतता सेनानियों के लिए तय किए आरक्षण के खिलाफ जुलाई में विरोध प्रदर्शन शुरू हुए थे। धीरे-धीरे ये विरोध प्रदर्शन पूरे देश में फैल गए और छात्रों द्वारा प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे की मांग की जाने लगी। (Bangladesh) ये विरोध प्रदर्शन इतने हिंसक हो गए कि पांच अगस्त को बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना को अपने पद से इस्तीफा देकर देश छोड़ना पड़ा। शेख हसीना फिलहाल भारत में हैं।
इसके बाद भी हिंसा नहीं थमी और उपद्रवी पुलिसकर्मियों को निशाना बनाने लगे। सरकार गिरने के बाद कई पुलिसकर्मी डर के मारे काम पर नहीं लौटे। वहीं कुछ कर्मचारी सादे कपड़ों में अपने पुलिस थानों में गए। (Bangladesh) लगातार जान पर बन रहे संकट को देखते हुए बांग्लादेश पुलिस अधीनस्थ कर्मचारी संघ (बीपीएसईए) ने छह अगस्त को हड़ताल पर जाने का एलान कर दिया था।
खबर के मुताबिक, हड़ताल पर गए कर्मचारियों के प्रतिनिधियों ने रविवार को गृह मामलों के अंतरिम सलाहकार ब्रिगेडियर जनरल (सेवानिवृत्त) एम सखावत हुसैन के साथ बैठक की। (Bangladesh) पुलिस को आश्वासन दिया गया है कि उनकी 11 सूत्री सूची में शामिल अधिकांश मांगों को पूरा किया जाएगा। उसके बाद पुलिस कर्मचारियों ने वर्दी पहनने और हड़ताल वापस लेने का एलान किया।
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काम पर लौटेंगे पुलिसकर्मी
एक अन्य न्यूज पोर्टल के अनुसार, बैठक के आधार पर यह फैसला लिया गया कि प्रदर्शनकारी गैर-कैडर पुलिसकर्मी सोमवार से काम पर लौटेंगे। पुलिस महानिरीक्षक द्वारा गठित जांच समिति के सदस्य सार्जेंट असदुज्जमां ज्वेल ने कहा, ‘गृह मामलों के सलाहकार के साथ बैठक के बाद हमें आश्वासन दिया गया है। हम सोमवार से काम पर लौट आएंगे।’
गलत काम करने वालों को नहीं बख्शा जाएगा
गृह मामलों के अंतरिम सलाहकार सखावत ने कहा कि जिन लोगों ने अत्यधिक बल प्रयोग का आदेश दिया था, वे राजनीतिक स्तर पर थे और किसी भी गलत काम करने वालों को नहीं बख्शा जाएगा। उन्होंने कहा कि मामले की जांच की जाएगी। उन्होंने कहा, ‘मुझे व्यक्तिगत रूप से लगता है कि एक पुलिस आयोग होना चाहिए। पुलिस आयोग के तहत काम करेगी, न कि किसी राजनीतिक दल के तहत। राजनीतिक दल पुलिस का दुरुपयोग करते हैं।’
उन्होंने कहा, ‘पुलिस की वर्दी और लोगो को जल्द से जल्द बदला जाएगा। उनके दिल दुःख से भारी हैं। वे (पुलिस) इस वर्दी में बाहर नहीं जाना चाहते हैं।’
प्रदर्शनकारी पुलिस अधिकारियों ने पुलिस प्रतिष्ठानों पर हमलों के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की थी। उन्होंने अन्य बातों के अलावा मृत अधिकारियों के परिवारों के लिए मुआवजे और पुलिस भर्ती में पारदर्शिता की भी मांग की।