Azim Premji: अजीम प्रेमजी, भारतीय कारोबार जगत का वो नाम है, जिसके परोपकार और दानवीरता की कहानी हर किसी को प्रेरित करती है। 21 वर्ष की छोटी उम्र में विप्रो की कमान संभालने वाले प्रेमजी ने इस कंपनी को एफएमसीजी सेक्टर से उठाकर देश की दिग्गज आईटी कंपनी में तब्दील कर दिया। 2.70 लाख करोड़ रुपये की इस विशालकाय कंपनी का नेतृत्व करते हुए प्रेमजी ने न केवल अपने व्यावसायिक कौशल का लोहा मनवाया, बल्कि समाज सेवा के क्षेत्र में भी अपना एक अलग मुकाम बनाया।
Azim Premji: विप्रो की सफलता गाथा
प्रेमजी ने 1966 में अपने पिता के निधन के बाद विप्रो की कमान संभाली थी। उस समय यह कंपनी वनस्पति तेल, साबुन और बेकिंग पाउडर जैसी वस्तुओं का उत्पादन करती थी। प्रेमजी ने कंपनी का दायरा बढ़ाते हुए आईटी क्षेत्र में कदम रखा और धीरे-धीरे विप्रो को इस क्षेत्र की दिग्गज कंपनी बना दिया।
दानवीरता और परोपकार
प्रेमजी अपनी दानवीरता और परोपकार के लिए भी जाने जाते हैं। उन्होंने अपनी संपत्ति का बड़ा हिस्सा शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में दान कर दिया है। 2013 में उन्होंने ‘द गिविंग प्लेज’ की शपथ ली थी, जिसके तहत उन्होंने अपनी आधी संपत्ति दान करने का वादा किया था।
रिशद प्रेमजी: पिता के पदचिह्नों पर
2019 में अजीम प्रेमजी ने विप्रो की कमान अपने बेटे रिशद प्रेमजी को सौंप दी। रिशद ने भी अपने पिता की तरह सादगी और परोपकार की राह पर चलते हुए 2022-23 में अपनी सैलरी आधी कर ली। विप्रो आईटी सर्विसेज की कमाई में आई कमी के चलते उन्होंने यह कदम उठाया।
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रिशद प्रेमजी ने 2007 में संभाली थी विप्रो की कमान
अजीम प्रेमजी ने विप्रो का 53 साल तक नेतृत्व करने के बाद उसे अपने बेटे रिशद प्रेमजी को सौंपा था. रिशद प्रेमजी ने साल 2007 में विप्रो ज्वॉइन की थी. साल 2019 में एग्जीक्यूटिव चेयरमैन बनने से पहले उन्होंने कई पदों पर काम किया. वेसलियन यूनिवर्सिटी से इकोनॉमिक्स की पढ़ाई करने के बाद उन्होंने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से एमबीए किया था. रिशद नैसकॉम के चेयरमैन भी रहे हैं. अब वह ग्लोबल कंपनी विप्रो को संभाल रहे हैं, जिसमें फिलहाल लगभग 2.50 लाख लोग काम करते हैं.
कंपनी के खराब प्रदर्शन पर आधी कर ली सैलरी
रिशद प्रेमजी अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ बेंगलुरु में रहते हैं. उन्होंने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए सिर्फ 8 करोड़ रुपये (951,353 डॉलर) ही वेतन ली थी. विप्रो आईटी सर्विसेज बिजनेस के नकारात्मक प्रदर्शन के चलते उन्होंने आधी वेतन लेने का फैसला खुद ही लिया था. कोविड-19 के दौरान भी रिशद ने अपनी वेतन में 31 फीसदी कटौती की थी. रिशद प्रेमजी विप्रो इंटरप्राइजेज, विप्रो जीई और अजीम प्रेमजी फाउंडेशन के बोर्ड में भी शामिल हैं.