lucknow: इंडिया 24×7 लाइव टीवी न्यूज नेटवर्क के प्रधान संपादक डॉ सुनील कुमार वर्मा सोनू भारत से संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) अबू धाबी पहुंचे हैं. आबू धाबी में बीएपीएस हिंदू मंदिर (BAPS Hindu Temple) में विधि-विधान से पूजा पाठ किया. उन्होंने कहा है कि मैं अबू धाबी में बने सबसे बड़े हिंदू मंदिर में आकर धन्य हो गया. यह मंदिर भारत-यूएई दोस्ती (India-UAE Friendship) का एक जीवंत प्रतीक है. यह दुनिया को एक सकारात्मक संदेश देता है. यह दोनों देशों के बीच एक सच्चा सांस्कृतिक ब्रिज है.
आपको बता दें संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की राजधानी अबू धाबी में पहला हिंदू मंदिर खुल गया है.14 फरवरी 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंदिर का उद्घाटन किया था इस दौरान 42 देशों के प्रतिनिधि भी शामिल हुए. ये अबू धाबी का पहला हिंदू मंदिर है.। (lucknow) ये मंदिर दुबई-अबू धाबी शेख जायद हाईवे के पास अल रहबा में अबु मुरेखा नाम की जगह पर बना है. ये मंदिर बोचासनवासी श्री अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था यानी BAPS ने बनाया है. दुनियाभर में इस संस्था के 1200 से ज्यादा मंदिर हैं. दिल्ली और गुजरात में अक्षरधाम मंदिर इसी संस्था ने बनाया है. इस मंदिर के लिए जमीन यूएई के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान ने तोहफे में दी है. अबू धाबी में बने इस मंदिर की खास बात ये है कि इसके निर्माण कार्य में सभी धर्मों से जुड़े लोगों का योगदान रहा है.
India 24x7livetv के प्रधान संपादक डॉ सुनील कुमार वर्मा सोनू ने कहा हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए यह एक महत्वपूर्ण अवसर है कि वे UAE में रहते हुए भी अपनी धार्मिक आस्थाओं को व्यक्त कर सकें। (lucknow) यह मंदिर न केवल धार्मिक स्थल हैं, बल्कि सांस्कृतिक केंद्र भी हैं जो UAE में विभिन्न समुदायों के बीच सद्भाव और समझ को बढ़ावा देने में मदद करते हैं। साथ ही उन्होंने सभी से अपील करते हुए कहा है कि जो भी दुबई आए अरब देश के एकलौते आबू धाबी में स्थित हिन्दू मंदिर मे दर्शन करने जरूर आए…
lucknow: कुछ इस तरह बना है अबू धाबी का मंदिर
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इस मंदिर के 7 शिखर और 5 गुंबद हैं. मंदिर की लंबाई 262 फीट, चौड़ाई 180 फीट और ऊंचाई 108 फीट है. मंदिर को बनाने में 700 करोड़ रुपये का खर्च आया है. इस मंदिर को बनाने में 50 हजार घन फीट इटैलियन मार्बल, 18 लाख घन फीट इंडियन सैंड स्टोन और 18 लाख पत्थर की ईंटों का इस्तेमाल हुआ है.
मंदिर निर्माण में लोहे या स्टील का इस्तेमाल नहीं हुआ है. (lucknow) इससे ये हजारों सालों तक जस का तस बना रहेगा. केवल चूना पत्थर और संगमरमर का इस्तेमाल हुआ है. बताया जा रहा है कि मंदिर निर्माण के लिए 20,000 टन से अधिक पत्थर और संगमरमर 700 कंटेनरों में भरकर अबू धाबी लाया गया था.
मंदिर के प्रवेश द्वार में आठ मूर्तियां हैं जो सनातम धर्म के आठ मूल्यों का प्रतीक हैं. मंदिर का एम्फीथिएटर बनारस घाट के आकार का बना है ताकि वहां लोगों को भारतीयता का आभास हो. (lucknow) जब लोग एम्फीथिएटर में चलेंगे तो उन्हें पानी की दो धाराएं नजर आएंगी जो सांकेतिक रूप से भारत की गंगा और यमुना को दिखाती हैं. त्रिवेणी संगम जैसा रूप देने के लिए मंदिर से प्रकाश की एक किरण निकलेगी जो सांकेतिक रूप से सरस्वती नदी को दिखाएगी.
मंदिर की दीवारों पर घोड़े और ऊंट जैसे जानवरों की नक्काशी की गई है जो यूएई का प्रतिनिधित्व करते हैं. भगवान स्वामीनारायण के मंदिर की दीवारों पर हिंदू धर्म और दुनिया की बाकी सभी संस्कृतियों, सभ्यताओं की 250 से ज्यादा कहानियों को उकेरा गया है.