Russia Ukrain War: जापान अब दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था नहीं रहा। जीडीपी में लगातार दो तिमाही से गिरावट के कारण जापान ने यह स्थान जर्मनी को गंवा दिया है। इसके साथ ही जापान मंदी में भी फंस चुका है। जापान के साथ ब्रिटेन, फिनलैंड समेत दुनिया के नौ देश मंदी में फंसे हैं।
मंदी का प्रभाव
जीडीपी में गिरावट: सभी नौ देशों की जीडीपी में गिरावट देखी गई है। (Russia Ukrain War) जापान की जीडीपी 0.4%, ब्रिटेन की 0.3% और फिनलैंड की 0.2% गिरी है।
कर्ज में वृद्धि: मंदी के कारण इन देशों का कर्ज भी बढ़ गया है। जापान का कर्ज 250% जीडीपी है, जो दुनिया में सबसे ज्यादा है। ब्रिटेन का कर्ज 90% जीडीपी और फिनलैंड का कर्ज 60% जीडीपी है।
बेरोजगारी में वृद्धि: मंदी के कारण इन देशों में बेरोजगारी भी बढ़ रही है। (Russia Ukrain War) जापान में बेरोजगारी दर 2.5%, ब्रिटेन में 3.8% और फिनलैंड में 4.5% है।
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Russia Ukrain War: भारत और दुनिया पर प्रभाव
वैश्विक अर्थव्यवस्था: मंदी का वैश्विक अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। व्यापार और निवेश में कमी आएगी, जिससे आर्थिक विकास धीमा होगा।
भारत: मंदी का भारत पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। भारत का निर्यात कम होगा, जिससे अर्थव्यवस्था को नुकसान होगा।
आगे का रास्ता
मंदी से बाहर निकलने के लिए इन देशों को कई उपाय करने होंगे। सरकारों को अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित करने के लिए नीतियां बनानी होंगी। कंपनियों को नए निवेश और रोजगार सृजन के लिए प्रोत्साहित करना होगा।
मंदी एक गंभीर समस्या है, जिसका प्रभाव कई देशों पर पड़ रहा है। इससे बाहर निकलने के लिए सभी देशों को मिलकर प्रयास करने होंगे।
क्या भारत भी मंदी का शिकार हो सकता है?
जब अर्थव्यवस्था में लगातार लंबे समय तक गिरावट देखी जाती है तो वो देश मंदी का शिकार कहलाता है. अर्थव्यवस्था में बढ़ोतरी या गिरावट का डेटा जीडीपी ग्रोथ रेट से देखा जाता है. (Russia Ukrain War) मंदी आने पर नौकरियां जाती है, बेरोजगारी बढ़ती है, शेयर बाजार गिरता है और वेतन-भत्ते घटते हैं.
भारत में फिलहाल ऐसी कोई स्थिति नहीं है. भारत का जीडीपी ग्रोथ रेट बढ़ रहा है. अनुमान है 2030 तक हर साल भारत सात फीसदी की ग्रोथ रेट के साथ आगे बढ़ सकता है.
भारत ने कब-कब देखी मंदी?
आजादी के बाद से भारत ने मुख्य रूप से चार बार आर्थिक मंदी देखी है. पहली बार 1958 में भारत की जीडीपी माइनस में चली गई थी. दूसरी बार 1965-66 में अर्थव्यवस्था को झटका लगा. तब देश में भयंकर सूखा पड़ा था. उत्पादन में घट गया था. तीसरी बार साल 1973 में भारत ने मंदी देखी थी. तब OPEC ने योम किप्पुर युद्ध के दौरान इजरायल का समर्थन करने वाले देशों पर तेल एक्सपोर्ट करने पर रोक लगा दी थी.
फिर 1980 में ईरानी क्रांति के कारण दुनियाभर में तेल उत्पादन को बड़ा झटका लगा. भारत का जीडीपी ग्रोथ -5.2 फीसदी पर आ गया था. तेल आयात करने का खर्चा लगभग दोगुना हो गया था और निर्यात में 8 फीसदी तक गिर गया था.
आखिरी बार दुनिया में मंदी 2008 में आई थी. उस दौरान भारत में लगभग 2 करोड़ लोगों की नौकरी चली गई थी. हालांकि भारत ने अपने मूलभूत मजबूत कारकों के चलते मंदी को बेहतर तरीके से झेला था.
युद्ध के बावजूद रूस की अर्थव्यवस्था कैसे अच्छी?
रूस-यूक्रेन युद्ध को करीब दो साल बीत चुके हैं. रूस का अधिकांश हिस्सा युद्ध पर खर्च हो रहा है. रूस अपने पूरे बजट का 40 फीसदी हिस्सा सेना और सुरक्षा पर खर्च कर रहा है. इसके अलावा टैंक के निर्माण, मिसाइल सिस्टम और अपने कब्जे में आए यूक्रेनी क्षेत्रों को बचाए रखने पर भी सरकार बड़ी रकम खर्च कर रही है. (Russia Ukrain War) इसके बावजूद रूस की अर्थव्यवस्था बेहतर है.
दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में रूस 11वें स्थान पर है. 2023 में रूस की जीडीपी 1.86 अरब डॉलर रही. इसका सबसे बड़ा कारण है कि तेल, गैस और हाइड्रोकार्बन उत्पादों की बिक्री से मिलने वाला राजस्व अभी भी रूस का सरकारी खजाना भर रहा है.
रूस दुनिया का सबसे बड़ा प्राकृतिक गैस निर्यातक और तीसरा सबसे बड़ा तेल निर्यातक है. (Russia Ukrain War) युद्ध के कारण कीमतें बढ़ने से रूस को भारी राजस्व प्राप्त हुआ है. पश्चिमी देशों की ओर से लगाए गए प्रतिबंध के कारण रूस ने घरेलू उत्पादन पर अधिक ध्यान केंद्रित किया है. (Russia Ukrain War) रूस ने चीन और भारत जैसे देशों के साथ व्यापार बढ़ाया है, जो पश्चिमी प्रतिबंधों का प्रभाव कम करने में मदद कर रहा है.