
Digital Payment Risk: भारत में डिजिटल पेमेंट तेजी से बढ़ रहे हैं। हर दिन लाखों लोग UPI और ऑनलाइन लेन-देन के जरिए पैसे भेज और प्राप्त कर रहे हैं। लेकिन इसके साथ ऑनलाइन धोखाधड़ी के मामले भी लगातार बढ़ रहे हैं। (Digital Payment Risk) डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशन (DoT) के अनुसार, हर तीन में से एक UPI भुगतान असुरक्षित है। इसका मुख्य कारण यह है कि Google Pay ने अभी तक सरकार द्वारा बनाई गई सुरक्षा प्रणाली Fraud Risk Indicator (FRI) को अपनाया नहीं है। FRI सिस्टम डिजिटल लेन-देन को सुरक्षित बनाने में मदद करता है और धोखाधड़ी को रोकता है।
Digital Payment Risk: FRI क्या है?
Fraud Risk Indicator (FRI) सिस्टम की मदद से लोग अपने डिजिटल लेन-देन को सुरक्षित रख सकते हैं। (Digital Payment Risk) यह पहले ही पहचान लेता है कि कौन सा मोबाइल नंबर धोखाधड़ी वाला हो सकता है और उसी अनुसार चेतावनी या लेन-देन रोक देता है।
इससे UPI और ऑनलाइन भुगतान में धोखाधड़ी के जोखिम कम हो जाते हैं। लोग अपने पैसे सुरक्षित रूप से भेज और प्राप्त कर सकते हैं। FRI प्रणाली डिजिटल सुरक्षा बढ़ाने में बेहद महत्वपूर्ण साबित हो रही है।
Google Pay ने FRI क्यों नहीं अपनाया
DoT के सचिव नीरज मित्तल ने बताया कि Google Pay ने अभी तक FRI प्रणाली को अपने सिस्टम में शामिल नहीं किया है। जबकि अन्य प्रमुख UPI ऐप्स जैसे PhonePe और Paytm ने इस सुरक्षा प्रणाली को अपनाकर अपने प्लेटफॉर्म को सुरक्षित बना लिया है। (Digital Payment Risk) Google Pay का कहना है कि वह एक बहुराष्ट्रीय कंपनी है और इस तकनीकी प्रक्रिया में थोड़ा समय लगेगा।
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Google Pay की मार्केट हिस्सेदारी
Google Pay भारत में UPI भुगतान का एक बड़ा हिस्सा संभालता है। अगस्त 2025 में इस ऐप के जरिए 7063.76 मिलियन लेन-देन हुए, जिनका कुल मूल्य ₹8,83,682.27 करोड़ रहा। यह पूरे UPI लेन-देन का लगभग 35% हिस्सा बनता है। (Digital Payment Risk) इसका मतलब है कि हर तीसरा डिजिटल भुगतान Google Pay के माध्यम से होता है, इसलिए इस प्लेटफॉर्म की सुरक्षा सुनिश्चित करना बेहद जरूरी है। मजबूत सुरक्षा प्रणालियों के बिना करोड़ों यूजर्स के पैसों पर जोखिम हो सकता है।
PhonePe और Paytm की सफलता
8 अक्टूबर 2025 को भारत मोबाइल कांग्रेस में PhonePe, Paytm और DoT की टीम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बताया कि FRI सिस्टम लागू करने से डिजिटल सुरक्षा में बड़ा सुधार हुआ है।
- PhonePe ने ₹125 करोड़ के संभावित धोखाधड़ी वाले लेन-देन को रोक दिया।
- Paytm ने ₹68 करोड़ की धोखाधड़ी को रोकने में सफलता पाई।
यह आंकड़े दिखाते हैं कि FRI सिस्टम डिजिटल भुगतान को सुरक्षित बनाने में बहुत प्रभावी है और यूजर्स के पैसों की सुरक्षा करता है।
RBI और सरकार के सख्त कदम
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने जून 2025 में सभी बैंकों और पेमेंट संस्थानों को आदेश दिया कि वे Fraud Risk Indicator (FRI) सिस्टम को अपनाएँ। (Digital Payment Risk) इसका उद्देश्य है कि डिजिटल लेन-देन सुरक्षित बने और लोग ऑनलाइन धोखाधड़ी से बचें। दूरसंचार विभाग (DoT) के अनुसार, अब तक सरकार ने 9.42 लाख सिम कार्ड और 2.63 लाख IMEI नंबर को धोखाधड़ी में शामिल पाए जाने के कारण ब्लॉक कर दिया है।
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यह कदम दिखाता है कि सरकार डिजिटल सुरक्षा को लेकर गंभीर है। इससे न केवल ऑनलाइन लेन-देन सुरक्षित होते हैं बल्कि लोगों का भरोसा डिजिटल भुगतान में भी बढ़ता है।
Google Pay का जवाब
Google इंडिया के सरकारी मामलों के प्रमुख राजेश रंजन ने कहा कि कंपनी DoT के साथ मिलकर FRI को जोड़ने पर काम कर रही है। उन्होंने बताया कि Google की अपनी AI आधारित सुरक्षा पहल “DigiKavach” भी ऑनलाइन फ्रॉड को रोकने में मदद करती है।
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हालांकि, Google की एक अन्य टीम ने दावा किया है कि FRI पहले ही जोड़ा जा चुका है, जिससे कंपनी के बयानों में विरोधाभास नजर आता है।
बढ़ते ऑनलाइन फ्रॉड के मामले
भारत में ऑनलाइन धोखाधड़ी के मामलों में लगातार तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। रिपोर्टों के अनुसार, 2022 में करीब 10.29 लाख मामले दर्ज किए गए थे। (Digital Payment Risk) लेकिन 2024 तक यह संख्या बढ़कर 22.68 लाख तक पहुंच गई। यह दिखाता है कि जैसे-जैसे इंटरनेट और डिजिटल पेमेंट का उपयोग बढ़ रहा है, वैसे-वैसे डिजिटल अपराधों की संख्या भी बढ़ती जा रही है।
इस बढ़ते खतरे के कारण अब सरकार और बैंक दोनों ही सुरक्षा प्रणालियों को मजबूत करने पर ध्यान दे रहे हैं ताकि लोगों के पैसे और डेटा को सुरक्षित रखा जा सके।