सोशल मीडिया पर बात करते हुए मनोज ने आजकल बेहद पॉपुलर हो रही रील्स पर भी बात की. उन्होंने बताया कि कैसे ये रील्स अच्छी भी हैं और बुरी भी. उन्होंने ये भी बताया कि वो एक पाकिस्तानी फिल्ममेकर के साथ काम करने के बहुत करीब थे और मनोज ने बताया कि यूनिवर्सिटी में उन्होंने एक नाइजीरियन दोस्त क्यों बनाया था
भारत के सबसे दमदार एक्टर्स में गिने जाने वाले मनोज बाजपेयी की फिल्म ‘द फेबल’ ने बर्लिन फिल्म फेस्टिवल में खूब तारीफ बटोरी है. इंटरनेशनल मीडिया में उनकी इस फिल्म को बहुत अच्छे रिव्यू मिले है और एक बार फिर से उनकी एक्टिंग की जमकर तारीफ की जा रही है.
‘द फेबल’ के लिए बर्निनाले, जर्मनी में पहुंचे मनोज ने अपने काम, AI की दुनिया में फिल्ममेकिंग और ‘सरदार खान’ के मीम्स को लेकर दिल खोलकर बात की. मनोज ने कहा कि उन्हें ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ फिल्म से अपने आइकॉनिक किरदार, सरदार खान पर बने मीम्स देखकर हंसी भी आती है और कभी-कभी शर्मिंदगी भी होती है.
Entertainment news : मीम्स में पॉपुलैरिटी को मनोज ने बताया अच्छा
बर्निनाले में मनोज बाजपेयी ने डीडब्ल्यू हिंदी को दिए एक इंटरव्यू में दिल खोलकर बातें कीं. इंटरनेट मीम्स की दुनिया में अपने किरदारों की पॉपुलैरिटी को लेकर बात करते हुए मनोज ने कहा, ‘कई बार हंसी भी आती है, कई बार शर्मिंदगी भी होती है. अलग-अलग परिस्थितियों में लोग इसे यूज करते रहते हैं. लेकिन ठीक है ‘द फैमिली मैन’ है या ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ है… अगर इस तरह का काम मीम्स में यूज हो रहा है तो वो ये भी दिखाता है कि आपका काम लोगों के दिलो-दिमाग पर है, ये पूरी तरह से उनके दिमाग पर रूल कर रहा है, तो बहुत अच्छी बात है.’
आगे मनोज ने सोशल मीडिया पर बात करते हुए कहा, ‘मीम से या सोशल मीडिया से कभी डरने की जरूरत नहीं है क्योंकि उसका अटेंशन स्पैन इतना कम है कि वो डरावना है. मेरे लिए डरावना इसलिए नहीं है क्योंकि मैं जानता हूं और बहुत पहले से जानता हूं कि आपका फोकस होना चाहिए अपनी फिल्मोग्राफी को तैयार करने में, जो कि मैं लगातार करता रहा.’ उन्होंने कहा कि उनके लिए पैसे या करियर से ज्यादा जरूरी ये रहा कि वो ऐसी फिल्मोग्राफी तैयार करें, जिसे जब बुढ़ापे में देखें तो लगे कि ‘मैंने अपने जीवन और करियर के साथ न्याय किया है.’
मनोज ने बताई रील्स की बुराई
सोशल मीडिया पर बात करते हुए मनोज ने आजकल बेहद पॉपुलर हो रही रील्स पर भी बात की. उन्होंने बताया कि कैसे ये रील्स अच्छी भी हैं और बुरी भी. मनोज ने कहा, ‘मुझे एक सुखद अनुभूति होती है जब भी कोई कैमरा लेकर रील बनाता है या मीम का इस्तेमाल कर रहा है, लगातार क्रिएटिविटी की तरफ लोगों का झुकाव हो चुका है. लोग गांव-गांव में कहां-कहां से क्या-क्या कर रहे हैं और कितना अपने आप को कितना बिजी रखा हुआ है. बहुत सारे लोग उसका बहुत अच्छा फायदा भी उठा रहे हैं. मैं देख रहा हूं कि कुछेक मम्मियां जो हैं उन्होंने अपने बेटे-बेटियों के साथ मिलकर कुकिंग का वीडियो चैनल खोल लिया है. ये सुखद है.’
रील्स की बुराई बताते हुए मनोज बोले, ‘दुखद ये है कि जो रील्स हैं, मैं जानता हूं कि ये आपको एक भ्रम देते हैं कि आप पॉपुलर हैं. जबकि ये पॉपुलैरिटी इतनी कम है कि जो युवा दिमाग है उसका 35 की उम्र के बाद क्या होगा. 35 की उम्र के बाद आपको एक बार खड़े होकर देखना पड़ेगा कि आपने किया क्या और उसमें समाज जवाब नहीं चाहता. आप खुद से जवाब चाह रहे होंगे, तो वो खतरनाक है.
Entertainment news : क्या फिल्मों को बदल देगा AI?
दुनिया AI क्रांति देख रही है और ये तकनीक अब हर क्रिएटिव फील्ड्स में भी पैर पसार रही है. क्या इससे एक एक्टर पर भी असर पड़ेगा? इस सवाल के जवाब में मनोज ने कहा, ‘जैसे शेखर कपूर साहब कहते हैं कि AI आपके दरवाजे पर खड़ा है, इससे आंख मत मूंदिए. ये बहुत भला कर सकता है अगर आप डरेंगे नहीं तो. आप अभिनेता को तो हटा ही नहीं पाएंगे. एक हाड़ मांस के आदमी को आप कभी भी डिजिटल माध्यम से या कम्प्यूटर से रिप्लेस नहीं कर सकते.’
मनोज ने बताया कि एक्टर्स को तो नहीं, मगर फिल्ममेकिंग को AI से जरूर फायदा होगा. उन्होंने बताया, ‘हां, बहुत सारी चीजें हो सकती हैं जिनका इस्तेमाल बहुत सारे फिल्ममेकर्स और बहुत सारे टेक्नीशियन अपना टाइम बचाने के लिए कर रहे हैं, लेकिन साथ ही साथ ये भी होगा कि इंसान हमेशा AI से एक कदम आगे रहेगा क्यंकि AI तो इंसान के ही दिमाग की उपज है. ये तो चलता रहेगा जबतक कयामत न आ जाए.’
पाकिस्तानी फिल्ममेकर्स के साथ काम करना चाहेंगे मनोज?
जब मनोज से पूछा गया कि क्या वो कभी किसी पाकिस्तानी फिल्ममेकर के साथ कोलेबोरेशन करेंगे? तो उन्होंने बताया, ‘पाकिस्तान के एक डायरेक्टर थे मैं उनका नाम भूल गया. मैं उनसे शायद लॉस एंजेलिस में मिला था. हमारी बातचीत बहुत आगे पहुंच गई थी काम करने को लेकर. आगे कभी जरूर.’ उन्होंने बताया कि सोशल मीडिया पर पाकिस्तान के लोग हमेशा उन्हें लिखते रहते हैं.
मनोज ने कहा, ‘इससे पता चलता है कि वहां पर दर्शक हैं जो वहां पर मेरा काम दखते हैं, उसे सराहते हैं. इससे सुखद बात नहीं होगी कि बांग्लादेश-पाकिस्तान के लोग आपका काम देखते हैं.’ मनोज ने कहा कि एक एक्टर हमेशा कहानी से और स्क्रिप्ट से ही चैलेंज होता है, यही चीजें उसे बेहतर करने के लिए उकसाती हैं.
Entertainment news : मनोज का नाइजीरियन दोस्त
अपने सफर पर बात करते हुए मनोज ने कहा कि ये डेस्टिनी और उनकी अपनी जिद ही थी जिसकी वजह से वो कलाकार बन पाए. इस रास्ते पर उन्होंने जो अडचनें झेलीं उनमें से एक ये भी थी कि उन्हें सही से हिंदी-उर्दू भी नहीं आती थी और इंग्लिश में तो उनका हाथ बहुत ही ज्यादा तंग था.
इसका हल मनोज ने कैसे निकाला, ये भी उन्होंने इंटरव्यू में बताया. मनोज बोले, ‘मैंने एक नाइजीरियन दोस्त बनाया था दिल्ली यूनिवर्सिटी में, क्योंकि एक वही था जो मुझे जज नहीं करता था. दोनों मिलकर अंग्रेजी की प्रैक्टिस करते थे. किसी भी भाषा को सीखने के लिए पहले इसके लिए तैयार होना पड़ता है कि लोग आप पर हंसेंगे.’
30 साल से फिल्मों से जुड़े हुए मनोज को क्या अब ये लगता है कि वो आज वहां पहुंच गए हैं, जहां हमेशा से पहुंचना चाहते थे? इसका जवाब देते हुए मनोज ने कहा, ‘मैं कहीं भी नहीं पहुंचना चाहता था. मैं बस कलाकार बनना चाहता था. मैं अगर रोजी रोटी कमाना चाहता था तो कलाकार बनकर. अगर इसे कहीं पहुंचना कहते हैं, तो हां मैं पहुंच गया हूं वरना नहीं.