
Nepal Political Crisis 2025: नेपाल इन दिनों एक गहरे राजनीतिक संकट से गुजर रहा है। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के इस्तीफे को 48 घंटे से ज्यादा का समय हो चुका है। इस बीच अब जनता बेचैन है, सड़कों पर तनाव का माहौल है और राजनीतिक गलियारों में लगातार बैठकों का दौर जारी है। (Nepal Political Crisis 2025) शुक्रवार सुबह 9 बजे एक बार फिर नेताओं की अहम बैठक शुरू हुई, लेकिन अब तक कोई ठोस नतीजा सामने नहीं आया। मीडिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि अंतरिम प्रधानमंत्री के तौर पर पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की का नाम लगभग तय माना जा रहा है। लेकिन असली पेंच यह है कि मौजूदा संसद को भंग किया जाए या नहीं।
Nepal Political Crisis 2025: चर्चा क्यों अटकी हुई है?
बीते दिन चली चर्चाओं के बावजूद किसी नाम पर सहमति नहीं बन सकी। फिलहाल पीएम पद के लिए सुशीला कार्की का नाम लगभग तय माना जा रहा है, लेकिन असली पेंच यह है कि मौजूदा संसद को भंग किया जाए या नहीं। (Nepal Political Crisis 2025) राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल संसद भंग करने के पक्ष में नहीं हैं, जबकि सुशीला कार्की का कहना है कि संविधान के मुताबिक संसद रहते हुए किसी गैर-सांसद को प्रधानमंत्री नहीं बनाया जा सकता। यही वजह है कि इस मसले पर गतिरोध गहराता जा रहा है।
सुशीला कार्की पर विवाद
सुशीला कार्की का नाम सामने आते ही नेपाल की राजनीति में एक नया तूफान भी खड़ा हो गया। युवा पीढ़ी, जिसे यहां Gen-Z आंदोलनकारी कहा जा रहा है, आपस में ही भिड़ गई। एक गुट का आरोप है कि कार्की भारत समर्थक हैं और ऐसे व्यक्ति को प्रधानमंत्री बनाना नेपाल की संप्रभुता के लिए ठीक नहीं होगा। यही विवाद अब सड़क पर हिंसा का रूप लेने लगा है।
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राजधानी काठमांडू और आसपास के इलाकों में हालात काबू से बाहर न हों, इसके लिए सेना ने लगातार चौथे दिन भी कर्फ्यू जारी रखा है। (Nepal Political Crisis 2025) सुरक्षा बल तैनात हैं और आम लोगों की आवाजाही पर पाबंदी है। इस राजनीतिक उथल-पुथल और हिंसा में अब तक 34 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 1500 से ज्यादा लोग घायल बताए जा रहे हैं।
पीएम पद के लिए चार बड़े दावेदार मैदान में
अंतरिम प्रधानमंत्री पद के लिए इस समय चार प्रमुख नाम चर्चा में हैं-
- सुशीला कार्की
- बालेन शाह
- कुलमान घिसिंग
- हरका सम्पांग
फिलहाल नेपाल अभी एक बेहद अहम मोड़ पर खड़ा है। एक ओर जनता स्थिरता चाहती है, वहीं दूसरी ओर राजनीतिक दल अपने-अपने हित साधने में लगे हुए हैं। नई कार्यकारी सरकार को न सिर्फ चुनाव की तैयारी करनी होगी, बल्कि कानून-व्यवस्था बहाल कर लोगों को भरोसा भी दिलाना होगा।