
Jaishankar’s Explosive Claim: विदेश मंत्री एस. जयशंकर इन दिनों शंघाई सहयोग संगठन की परिषद बैठक में भाग लेने के लिए चीन की यात्रा पर हैं। मंगलवार, 15 जुलाई 2025 को आयोजित इस अहम बैठक के दौरान उन्होंने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले का मुद्दा जोरशोर से उठाया। (Jaishankar’s Explosive Claim) उन्होंने सदस्य देशों से आग्रह किया कि वे एससीओ के मूल सिद्धांतों के प्रति निष्ठावान रहें और आतंकवाद के खिलाफ बिना किसी समझौते के सख्त रुख अपनाएं।
बता दें, विदेश मंत्री जयशंकर का यह दौरा विशेष रूप से महत्वपूर्ण मानी जा रही है क्योंकि यह जून 2020 में गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़पों के बाद उनकी पहली चीन यात्रा है। (Jaishankar’s Explosive Claim) इस संदर्भ में उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुआ आतंकी हमला न केवल निर्दोष जानों को नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से किया गया। इसका मकसद जम्मू-कश्मीर की पर्यटन आधारित अर्थव्यवस्था को चोट पहुंचाना और सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ना था।
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Jaishankar’s Explosive Claim: संयुक्त राष्ट्र की कड़ी प्रतिक्रिया का दिया हवाला
SCO विदेश मंत्रियों की बैठक को संबोधित करते हुए जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा इस हमले की कड़ी निंदा का उल्लेख किया। (Jaishankar’s Explosive Claim) उन्होंने कहा कि परिषद ने आतंकवाद के इस कृत्य के दोषियों, साजिशकर्ताओं, वित्तपोषकों और इसके पीछे के समर्थकों को न्याय के कठघरे में लाने की आवश्यकता पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि यह केवल एक देश की नहीं बल्कि पूरे क्षेत्र की सुरक्षा से जुड़ा विषय है।
SCO की मूल भावना को याद दिलाया
जयशंकर ने साफ-साफ कहा कि SCO की स्थापना का मुख्य उद्देश्य तीन मुख्य समस्याओं आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद से मिलकर मुकाबला करना था। आज भी ये समस्याएं कई बार एक साथ देखने को मिलती हैं। जिससे संगठन की मूल भावना की प्रासंगिकता और भी अधिक बढ़ जाती है। उन्होंने कहा, इस समय हमें एससीओ के संस्थापक लक्ष्यों के प्रति ईमानदारी से खड़ा रहना होगा और आतंकवाद पर किसी भी प्रकार का समझौता नहीं करना चाहिए।
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क्षेत्रीय स्थिरता के लिए आपसी विश्वास जरूरी
विदेश मंत्री ने अपने संबोधन में अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य की अस्थिरता पर चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में विश्व कई मोर्चों पर असंतुलन, संघर्ष और अनिश्चितता का सामना कर रहा है। वैश्विक अर्थव्यवस्था दबाव में है और रणनीतिक प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है। ऐसे समय में क्षेत्रीय सहयोग और आपसी विश्वास की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। उन्होंने जोर देकर कहा कि एससीओ को एक ऐसा मंच बनना चाहिए जो वैश्विक व्यवस्था में स्थिरता लाने, जोखिमों को कम करने और दीर्घकालिक सामूहिक हितों की रक्षा करने में सक्षम हो।