
Pakistan-Turkey MILGEM deal: जब पाकिस्तान ने तुर्की के साथ अरबों डॉलर का MILGEM प्रोजेक्ट साइन किया था, तब उसने दुनिया को बताया था कि यह डील उसकी नौसेना को पूरी तरह से बदल देगी। कहा गया था कि पाकिस्तान अब आधुनिक युद्धपोत बनाएगा, अपने बल पर समंदर में छा जाएगा और भारत की रणनीतिक बढ़त को जवाब देगा। (Pakistan-Turkey MILGEM deal) लेकिन अब, यही डील पाकिस्तान की सबसे बड़ी बेइज़्ज़ती में बदल गई है। किसी ने नहीं सोचा था कि जिस डील को पाकिस्तान “क्रांतिकारी” बता रहा था, उसी को पूरा करने के लिए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को गिड़गिड़ाना पड़ेगा, वो भी एक सीक्रेट लेटर में।
Pakistan-Turkey MILGEM deal: शहबाज शरीफ की चिट्ठी: खुद को दरिद्र देश कहने वाला राष्ट्रप्रमुख
22 मई 2025 को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोगन को एक गुप्त पत्र लिखा। लेकिन यह पत्र ज्यादा देर तक गुप्त नहीं रह सका। (Pakistan-Turkey MILGEM deal) जब इसका खुलासा हुआ, तो पूरी दुनिया ने देखा कि एक देश का प्रधानमंत्री खुलकर खुद की आर्थिक बर्बादी का बखान कर रहा है। शहबाज ने लिखा कि पाकिस्तान के पास पैसे नहीं हैं, वो तुर्की को MILGEM परियोजना के भुगतान नहीं कर पा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि IMF की शर्तों और बजट कटौती के कारण पाकिस्तान की हालत इतनी खराब हो चुकी है कि भुगतान तो दूर, जुर्माना तक ना लगाने की गुहार की जा रही है। उन्होंने लिखा “पाकिस्तान इस समय गंभीर वित्तीय संकटों से जूझ रहा है और दुर्भाग्य से, MILGEM परियोजना के लिए विभिन्न भुगतान करने में असमर्थ है।” अब सोचिए, जिस प्रोजेक्ट को गेमचेंजर बताया गया था, उसी के लिए पाकिस्तान भीख जैसी भाषा का इस्तेमाल कर रहा है।
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पनडुब्बी वाला सपना भी चूर-चूर, MILDEN प्रोजेक्ट अधर में लटका
इस चिट्ठी में एक और विस्फोटक खुलासा था,MILDEN प्रोजेक्ट, यानी पनडुब्बी बनाने की साझेदारी, वो भी ठंडे बस्ते में चली गई है। 2022 में जिस समझौते की बात हुई थी, वो अब सिर्फ कागज़ों में ज़िंदा है। (Pakistan-Turkey MILGEM deal) पाकिस्तान ने तुर्की से अपील की है कि वो 2–3 साल तक भुगतान की मांग ना करे। मतलब साफ है,हथियार चाहिए, लेकिन पैसे नहीं हैं। और इस तरह पाकिस्तान अब रणनीतिक तौर पर भी मज़ाक बनता जा रहा है।
असलियत में तकनीकी साझेदारी नहीं, सिर्फ असेंबली लाइन है पाकिस्तान
पाकिस्तान ने गर्व से ऐलान किया था कि वह कराची शिपयार्ड में आधुनिक युद्धपोत बनाएगा। लेकिन असलियत कुछ और ही निकली। टेक्नोलॉजी ट्रांसफर का जो दावा किया गया, वह सिर्फ एक छलावा था। पता चला है कि युद्धपोतों का डिज़ाइन, सिस्टम इंटीग्रेशन और कंट्रोल टेक्नोलॉजी पूरी तरह तुर्की के पास है। (Pakistan-Turkey MILGEM deal) पाकिस्तान के पास सिर्फ स्क्रू ड्राइवर और नट-बोल्ट जोड़ने की भूमिका है। कमांड और इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम्स भी पूरी तरह से तुर्की के कंट्रोल में हैं। और तो और, तुर्की ने अपनी अत्याधुनिक MIDLAS वर्टिकल लॉन्च सिस्टम की भी जानकारी पाकिस्तान को नहीं दी। यानी पाकिस्तान हाथ फैलाकर खड़ा है और तुर्की “कस्टमर सर्विस” की तरह व्यवहार कर रहा है।
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ड्रोन भी निकले डब्बा, भारतीय ऑपरेशन सिंदूर से टूटा तुर्की-पाक गठबंधन का भ्रम
भारत के ऑपरेशन सिंदूर ने एक और झटका दिया। पाकिस्तान ने तुर्की के ड्रोन को गेमचेंजर बताया था। लेकिन भारतीय डिफेंस सिस्टम के सामने वे पूरी तरह फ्लॉप साबित हुए। ड्रोन न टारगेट ट्रैक कर पाए, न ऑप्टिकल सेंसर ने साथ दिया, और न ही इलेक्ट्रॉनिक जामिंग में कोई कमाल दिखा। (Pakistan-Turkey MILGEM deal) अब पाकिस्तानी सेना के उच्च अधिकारियों का भरोसा तुर्की के हथियारों से उठ चुका है। यही वजह है कि पाकिस्तान अब अमेरिका और पश्चिमी देशों से हथियारों की तलाश में दरवाज़े खटखटा रहा है।
कटोरा बन गया राष्ट्रीय प्रतीक,तुर्की से उम्मीद, लेकिन मिलेगा क्या?
अब पाकिस्तान की हालत ऐसी हो गई है कि उसके पास हथियार खरीदने के लिए पैसा नहीं, भुगतान टालने की अपील करनी पड़ रही है, और टेक्नोलॉजी तो दूर की बात है, उसे सिर्फ रेंच और स्क्रू पकड़ने का मौका मिल रहा है। एक ओर तुर्की को MILGEM प्रोजेक्ट से फायदा हो रहा है,वो अपने शिप, हथियार और तकनीक बेच रहा है। (Pakistan-Turkey MILGEM deal) लेकिन पाकिस्तान के हाथ में सिर्फ कटोरा और शर्मिंदगी बची है। शहबाज शरीफ की चिट्ठी तुर्की को भेजी गई एक गिड़गिड़ाती याचना थी, जिसमें न डील की गरिमा बची, न राष्ट्र की प्रतिष्ठा।
डूबता पाकिस्तान, और डूबते उसके सपने
आज पाकिस्तान के लिए ना रणनीति बची है, ना संसाधन। वो एक तरफ कर्ज में डूबा है, दूसरी ओर रणनीतिक साझेदारियों के नाम पर भीख मांग रहा है। जिस MILGEM को वह भविष्य की नौसैनिक ताकत बता रहा था, अब वो ही प्रोजेक्ट उसके सिर पर लटकी आर्थिक फांसी बन गया है। (Pakistan-Turkey MILGEM deal) दुनिया समझ चुकी है कि पाकिस्तान सिर्फ एक मायावी प्रचारक है, जो फर्जी ख़बरें फैलाकर खुद को महाशक्ति दिखाने की कोशिश करता है, लेकिन सच्चाई ये है, ना हथियार हैं, ना आत्मबल… सिर्फ एक कागज़ की नौका है, जो तूफान से पहले ही फटने को तैयार है।