
Russia super bomb: 21 नवंबर 2024 की भोर थी। नीपर नदी के ऊपर का आसमान जो हर दिन की तरह शांत था अचानक चिल्लाने लगा। आग का एक गोला क्षितिज को चीरते हुए निकला, किसी ने सोचा – क्या यह कोई उल्का है? कुछ ने माना शायद कोई ड्रोन होगा। लेकिन अगले ही पल जो हुआ उसने यूक्रेन और पूरी दुनिया के रोंगटे खड़े कर दिए। (Russia super bomb) एक विशाल विस्फोट की गूंज ने दक्षिण-पूर्वी यूक्रेन की धरती को कंपा दिया। युज़माश, यूक्रेन की सबसे बड़ी रक्षा निर्माण इकाई – क्षण भर में खाक हो चुकी थी। वीडियो फुटेज में सिर्फ राख आग और धुएं का तूफान था। किसी को समझ नहीं आया कि ये हमला किस चीज़ से हुआ। अमेरिका और NATO तक भौचक्के रह गए।
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Russia super bomb: न कोई नाम न पहचान… पर तबाही परमाणु जैसी!
जब तक व्लादिमीर पुतिन ने खुद सामने आकर यह स्वीकार नहीं किया दुनिया अंधेरे में थी। (Russia super bomb) और जब उन्होंने नाम लिया ओरेशनिक तब जाकर सैन्य विशेषज्ञों की नींद टूटी। ये कोई सामान्य बैलिस्टिक मिसाइल नहीं थी। यह एक नया राक्षस था। एक ऐसा हथियार जो परमाणु बम से भी ज़्यादा खतरनाक माना जा रहा है। परमाणु हथियार अब पुराने हो गए, पुतिन के इस वाक्य ने पूरी वैश्विक सैन्य राजनीति को हिलाकर रख दिया।
ओरेशनिक, वो शैतान जिसकी रफ्तार रोके न रुके
ओरेशनिक मिसाइल की सबसे खतरनाक बात उसकी रफ्तार है – मैक 10 से भी ज़्यादा! यानी आवाज़ की गति से दस गुना तेज़। वह इतनी तेज़ है कि अमेरिका और यूरोपीय एयर डिफेंस सिस्टम भी इसे रोक नहीं सके। (Russia super bomb) इसका मतलब साफ है – यह मिसाइल जब चली तब किसी को इसका पता तब तक नहीं चला जब तक कि तबाही नहीं हो गई। ओरेशनिक की उड़ान के दौरान भी और फिर ज़मीन की तरफ उतरते वक्त भी इसकी रफ्तार धीमी नहीं पड़ती। यह उसे दुनिया की अब तक की सबसे घातक मिसाइलों में शामिल कर देता है।
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भस्म कर देने वाली गर्मी फिर भी नहीं पिघलती!
इस मिसाइल को इतना डरावना सिर्फ इसकी गति नहीं बनाती। बल्कि ये 4000°C तक की भीषण गर्मी को भी झेल सकती है। सामान्य मिसाइलें वायुमंडल में इतनी गर्मी में जलकर खाक हो जाती हैं लेकिन ओरेशनिक के वारहेड ऐसे उन्नत मिश्रित पदार्थों से बने हैं जो आग को भी मात देते हैं। (Russia super bomb) इसमें इस्तेमाल होती है कार्बन और सिरेमिक की हाई-टेक लेयरिंग जो इसे बेहद मजबूत और आग प्रतिरोधी बनाती है। यानी चाहे तापमान कितना भी हो ओरेशनिक झुलसती नहीं बल्कि झुलसाती है।
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क्या अब परमाणु हथियारों का युग खत्म?
विशेषज्ञों का कहना है कि ओरेशनिक की मारक क्षमता किसी छोटे सामरिक परमाणु हथियार जितनी है लेकिन इसके लिए परमाणु तकनीक की जरूरत नहीं है! मतलब यह परमाणु हथियार जैसा प्रभाव पैदा करती है बिना परमाणु तकनीक के। (Russia super bomb) यही वजह है कि रूस अब इसे बेलारूस में तैनात करने की योजना बना चुका है ताकि पश्चिमी देशों को रणनीतिक डर में रखा जा सके। यह रणनीति दिखाती है कि रूस अब पूरी तरह हाइपरसोनिक वॉरफेयर की ओर बढ़ चुका है।
दुनिया की नींद क्यों उड़ी हुई है?
अमेरिका NATO और बाकी पश्चिमी देशों के लिए यह एक बुरा सपना बन चुका है। उनके एयर डिफेंस सिस्टम चाहे वो पैट्रियट हो या इजरायल का आयरन डोम इस मिसाइल को ट्रैक तक नहीं कर पा रहे। (Russia super bomb) जब तक रडार कुछ समझे ओरेशनिक अपना काम कर चुकी होती है। इसका मतलब ये हुआ कि दुनिया की सारी महाशक्तियां आज एक ऐसे दुश्मन के सामने खड़ी हैं जिसे कोई रोक नहीं सकता। और यही डर सबके ज़हन में गूंज रहा है क्या अगली जंग हाइपरसोनिक मिसाइलों की होगी?
रूस की नई रणनीति
रूस अब सिर्फ परमाणु बमों पर नहीं बल्कि स्पीड बमों पर दांव लगा रहा है। ओरेशनिक इसकी शुरुआत है। (Russia super bomb) और अगर इसे वैश्विक स्तर पर और देशों ने अपनाया तो शायद आने वाले दशकों में परमाणु हथियार आउट ऑफ फैशन हो जाएं। पुतिन की यह सोच दुनिया को एक ऐसे मोड़ पर ला खड़ी कर रही है जहां कोई गलती कोई युद्धाभ्यास एक हाइपरसोनिक तबाही में बदल सकता है और फिर कुछ बचने वाला नहीं होगा।
तो क्या ओरेशनिक सिर्फ एक मिसाइल है? या फिर तीसरे विश्व युद्ध का ट्रिगर?
यह सवाल अब हर देश हर सेना और हर खुफिया एजेंसी के दिमाग में घूम रहा है। (Russia super bomb) क्योंकि अगर रूस ने एक बार फिर ओरेशनिक का इस्तेमाल किया और वह भी पश्चिमी देशों के किसी ठिकाने पर तो प्रतिक्रिया सिर्फ कड़ी नहीं परमाणु जैसी हो सकती है। और तब… शायद दुनिया में न परमाणु हथियार बचेंगे न रोकने वाले सिस्टम, सिर्फ राख और खामोशी।